वट सावित्री व्रत पूजा विधि: सम्पूर्ण विवरण

वट सावित्री व्रत पूजा विधि: सम्पूर्ण विवरण

 वट सावित्री व्रत पूजा विधि: सम्पूर्ण विवरण  : 

वट सावित्री व्रत हिन्दू धर्म में महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस व्रत की पृष्ठभूमि में सावित्री और सत्यवान की कथा है। आइए इस व्रत की पूजा विधि और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को विस्तार से जानते हैं।


 सामग्री: 

1. पूजा के लिए आवश्यक सामग्री:

   - एक लकड़ी का पट्टा या पाटा

   - वट वृक्ष (पीपल के पेड़ की टहनी भी प्रयोग में लाई जा सकती है)

   - पानी से भरा कलश

   - मौली (लाल धागा)

   - कुमकुम, हल्दी, अक्षत (चावल)

   - धूप, दीप, अगरबत्ती

   - फल, फूल, मिष्ठान्न (पुए, पूरी)

   - पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)

   - नारियल

   - वस्त्र (वस्त्र, चुनरी)

   - मिठाई, पान, सुपारी, दूब घास, पंचगव्य


पूजा विधि:



1. व्रत का संकल्प:

   - सुबह स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

   - एक लकड़ी के पट्टे पर वट वृक्ष की टहनी को रखें।

   - व्रत का संकल्प लें कि "मैं अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए वट सावित्री व्रत का पालन करूंगी।"


2. वट वृक्ष की पूजा:

   - वट वृक्ष को जल चढ़ाएं और कुमकुम, हल्दी, अक्षत से तिलक करें।

   - मौली (लाल धागा) को वट वृक्ष पर लपेटें और 108 बार परिक्रमा करें।

   - पंचामृत से वट वृक्ष का अभिषेक करें।

   - वट वृक्ष के नीचे दीया जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।

   - वट वृक्ष को वस्त्र और चुनरी अर्पित करें।


3. सावित्री-सत्यवान कथा:

   - व्रती महिलाएं वट वृक्ष के पास बैठकर सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें या पढ़ें।

   - कथा समाप्ति पर 'वट सावित्री व्रत कथा' की पुस्तक का दान करें।


4. आरती और भोग:

   - वट वृक्ष की आरती करें और भोग लगाएं।

   - प्रसाद को सभी में बांटें।


5. सामूहिक पूजा:

   - यदि संभव हो तो सामूहिक रूप से व्रत का आयोजन करें, इससे सामाजिक और धार्मिक समरसता बढ़ती है।



 वट सावित्री व्रत कथा:

सावित्री की कथा में एक समर्पित पत्नी की अपने पति की जान बचाने की प्रेरणादायक कहानी है। सावित्री, राजा अश्वपति की पुत्री, ने सत्यवान से विवाह किया। सत्यवान की आयु मात्र एक वर्ष शेष थी, लेकिन सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और भक्ति से यमराज से उनके प्राण वापस ले लिए।


 व्रत की महत्ता:


वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत पतिव्रता धर्म का प्रतीक है और इसे श्रद्धा और भक्ति से करने पर सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। यह व्रत न केवल पति की लंबी उम्र के लिए होता है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी लाता है।


 व्रत का पारण:


- अगले दिन व्रत का पारण करते समय किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।

- स्वयं भी भोजन ग्रहण करें।


विशेष ध्यान:


- व्रत के दौरान शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।

- मन, वचन और कर्म से संयम बरतें।


इस प्रकार वट सावित्री व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।


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