वट सावित्री व्रत का लाभ और हानि :
लाभ:
1. पति की दीर्घायु: वट सावित्री व्रत करने से पति की आयु लंबी होती है और वह स्वस्थ रहता है।
2. विवाह में सुख-शांति : यह व्रत विवाह में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।
3. संतान सुख: संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है।
4. धार्मिक लाभ : धार्मिक दृष्टि से यह व्रत पुण्य का काम है और इसका पालन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
5. सामाजिक एकता: सामूहिक रूप से व्रत का आयोजन करने से सामाजिक समरसता और एकता बढ़ती है।
हानि:
1. स्वास्थ्य समस्याएँ: लंबे समय तक उपवास रखने से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, विशेषकर उन महिलाओं के लिए जो पहले से ही कमजोर या बीमार हैं।
2. शारीरिक थकावट :पूरे दिन उपवास और पूजा करने से शारीरिक थकावट हो सकती है।
किसे करना चाहिए व्रत:
- विवाहित महिलाएँ: व्रत मुख्यतः विवाहित महिलाओं द्वारा किया जाता है, जिनका उद्देश्य अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना होती है।
- विवाह योग्य कन्याएँ: कुछ स्थानों पर अविवाहित कन्याएं भी इस व्रत को करती हैं ताकि उन्हें अच्छा जीवनसाथी प्राप्त हो।
शुभ मुहूर्त:
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व है, और इसके लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। शुभ मुहूर्त के अनुसार व्रत और पूजा का आयोजन करना चाहिए।
2024 का वट सावित्री व्रत: 👇👇
- तिथि: ज्येष्ठ अमावस्या (जून 6, 2024)
- शुभ मुहूर्त:
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 6 जून 2024 को सुबह 02:35 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 7 जून 2024 को सुबह 04:52 बजे
पूजा विधि और समय:
- **सुबह पूजा**: प्रातःकाल सूर्योदय के समय स्नान आदि करके व्रत का संकल्प लें और पूजा प्रारंभ करें।
- **अमावस्या के समय पूजा**: अमावस्या के समय विशेष पूजा का आयोजन करें। वट वृक्ष की पूजा का समय और परिक्रमा का समय इसी दौरान रखा जाता है।
सावधानियाँ:
1.स्वास्थ्य का ध्यान: अगर आप स्वास्थ्य कारणों से पूर्ण उपवास नहीं कर सकतीं, तो फलाहार या हल्का भोजन ग्रहण करें।
2. शुद्धता का पालन: व्रत के दौरान शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखें।
3. समय पर पूजा: मुहूर्त के अनुसार पूजा का आयोजन करें ताकि अधिकतम फल प्राप्त हो सके।
समापन:
वट सावित्री व्रत एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है जिसे पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए। इससे न केवल पति की लंबी आयु की प्राप्ति होती है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है। शुभ मुहूर्त के अनुसार पूजा का आयोजन करें और व्रत के सभी नियमों का पालन करें।